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शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

पुष्पक एक्सप्रेस और रेल सुरक्षा

                                                  लखनऊ मुंबई के बीच चलने वाली सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण ट्रेन पुष्पक एक्सप्रेस पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से लगातार ही चोरों के निशाने पर आ गयी है वह रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था जो कि राज्य सरकार के साथ मिलकर चलायी जाती है और रेलवे के काम करने के तरीके पर भी गंभीर सवाल उठाती है. अभी तक देश के विभिन्न हिस्सों में कभी कभी यात्रियों के साथ लूटपाट की घटनाएँ होती रहती हैं जिनके चलते रेलवे की किरकिरी होती रहती है पर पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि चोरों द्वारा लगेज के लिए निर्धारित डब्बे में खुलेआम लूटमार की जा रही है और राजकीय रेलवे पुलिस, रेल सुरक्षा बल इस मामले को गंभीरता से लेने के लिए तैयार ही नहीं दीखते हैं. इस मामले की गंभीरता से जांच करवाये जाने पर बहुत बड़े घोटाले के भी सामने आने की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि जिस तरह से लगभग चार करोड़ के माल को गायब किया गया है उसके बाद उस स्तर पर कार्यवाही होती नहीं दिख रही है जिस रेलवे की तरफ से होना चाहिए. देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह के निर्वाचन क्षेत्र की महवपूर्ण ट्रेन की यह हालत देखकर पूरी स्थिति का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है.
                                     जैसा कि पहले से ही अनुमानित है कि रेलवे इस मामले को पुलिस पर डालने की कोशिश करेगी और पुलिस इस मामले को कर चोरी आदि से जोड़ने की तरफ ले जाना चाहेगी क्योंकि वर्तमान परिस्थिति में दोनों को ही यह सबसे अधिक उपयुक्त लगता है और कुछ दिनों में रेलवे, सरकार, व्यापारी और जनता इस लूट को भूल जाएँगें और केवल मामले की जाँचें ही होती रहेंगीं. क्या ऐसी परिस्थिति में सरकार के पास ओर मामले को देखने के लिए समय भी है या रेल मंत्रालय का ध्यान केवल बुलेट ट्रेन तक ही सीमित रहने वाला है ? बहुत ही सीमित ठहरावों के साथ चलने वाली बेहद महत्वपूर्ण ट्रेन में लुटेरे घंटों तक आराम से लूटपाट करते रहते हैं और साथ चल रहे पुलिस स्टाफ को भी यह पता नहीं चल पा रहा है जबकि चोर लोहे की चादरों तक को काटकर यह काम करने में लगे हुए हैं ? आखिर मुंबई से एक विशेष कम्पनी के माल पर ही चोर क्यों हाथ  साफ़ कर रहे हैं यह भी सोचने और समझने का विषय है और उन चोरों को यह कैसे पता चल पा रहा है कि इसमें कैसा माल जा रहा है जब तक कि व्यापारी या रेलवे से जुड़े व्यक्ति इसमें शामिल न हों ?
                                  रेलवे को इस मामले को बहुत ही गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच करवानी चाहिए जिससे यह बात पता लगे कि कहीं रेलवे के अधिकारी भी इस रैकेट में शामिल तो नहीं हैं पूरा मामले कर चोरी से जुड़ा हुआ भी हो सकता है क्योंकि जिस तरह से मामला सामने आ रहा है तो सभी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. व्यापारी का कहना है कि सामान की सुरक्षा करना रेलवे की ज़िम्मेदारी है और पुलिस रिपोर्ट दर्ज़ नहीं कर रही है पर पुलिस का कहना है कि इस मामले में इन व्यापारियों के पास उचित बिल आदि भी नहीं होते हैं जिससे वे रिपोर्ट लिखवाना ही नहीं चाहते हैं ? क्या रेलवे के लोग भी बिना बिल के इस तरह अवैध रूप से बड़े पैमाने पर कर चोरी करवाने में शामिल हैं अब इस पहलू की भी पूरी जांच होनी ही चाहिए क्योंकि रेलवे के संसाधनों का दुरूपयोग करके कर चोरी को इतने बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जाना अपने आप में ही बहुत बड़ी बात है और यदि एक मार्ग की एक ट्रेन में इस तरह से संभव हो पा रहा है तो पूरे देश के रेल नेटवर्क में क्या क्या नहीं किया जा रहा होगा यह सोचने का विषय ही है. आशा है कि इस मामले को स्वयं रेल मंंत्री अपने स्तर से दिखवाने का प्रयास करेंगें जिससे रेलवे और देश को चूना लगाने वाले लोगों को पकड़ा जा सके तथा रेलयात्रा की सुरक्षित भी बनाया जा सके.     
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